Sunday, July 4, 2010

'आज से हम भी खुद को बड़ा वकील समझेंगे'

यह किस्‍सा मेरे एक सीनियर जो फौजदारी की वकालत करते हैं, ने हल्‍के-फुल्‍के पलों में सुनाया था....

एक बार वे सिंगापुर में थे तो वहां के मीडिया में एक वकीलसाहब के बारे में उन्‍होंने सुना...वकील साहब फौजदारी के थे और उनका एक मुवक्किल जिस पर किसी व्‍यक्ति को चांटा मारने का आरोप था, उसको उन्‍होंने बरी करवा दिया था... उनके देशभर में बड़े चर्चे हो रहे थे और उस मुकदमे की सफलता से वो बहुत मशहूर हो गये थे...
मेरे सीनियर ने सोचा कि क्‍यूं ना उनसे मिला जाए...वे उनसे मिलने उनके ऑफिस गये और उनको इस सफलता की बधाई दी...उन्‍होंने भी खुद को इस बधाई का पूरा हकदार समझते हुए उसे स्‍वीकारा....उसके बाद मेरे सीनियर से उन्‍होंने परिचय मांगा तो उन्‍होंने अपने बारे में बताया कि वे भी फौजदारी की वकालत करते हैं और कई मर्डर केसेज में सफलतापूर्वक पैरवी कर चुके हैं....इस पर उन वकीलसाहब ने उनको बहुत आदर के साथ बैठाया और काफी समय तक उनके वकालत के अनुभव के बारे में चर्चा करते रहे...
लौटते हुए मेरे सीनियर साहब के मन में यही खयाल आ रहे थे कि- अब तक हमें अहसास ही नहीं था कि हम भी कोई चीज हैं पर आज से हम खुद को बड़ा वकील समझेंगे...